Menu
blogid : 8082 postid : 411

“कहाँ समझा ज़माना है”

राजनीति
राजनीति
  • 40 Posts
  • 1401 Comments

heart-on-fire

अरे एक वीर हम भी हैं, ये दुनिया को बताना है,

अभी तक तेज़ को अपने, कहाँ समझा ज़माना है II

नजर को धार दे, और सर उठा के  देख ऊपर को,

जो नीला दिख रहा समतल,  उसी के पार जाना है II

जले पे जल जो छिडको, तो करे वो, छस-छ्सा-छस-छस,

हर दिल में धू-धू  जलते आग को, यूँही बुझाना है II

दुखों को गट-गटा-गट-गट, सभी मजबूर पीते हैं,

उन्ही लोगों में मैं भी हूँ मगर, ये गम मिटाना है II

तरक्की खूब आई है, की  बस कागज़, किताबों में,

हमें ही आगे बढ़ कर देश में, कुछ कर दिखना है II

लगे हैं सब खुदी के मतलबों में, कौन किसका है,

ज़रा सा प्रेम का इक सूत्र हमको, अब बनाना है II

अरे एक वीर हम भी हैं, ये दुनिया को बताना है,

अभी तक तेज़ को अपने , कहाँ समझा ज़माना  है II

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply