राजनीति
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अरे एक वीर हम भी हैं, ये दुनिया को बताना है,
अभी तक तेज़ को अपने, कहाँ समझा ज़माना है II
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नजर को धार दे, और सर उठा के देख ऊपर को,
जो नीला दिख रहा समतल, उसी के पार जाना है II
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जले पे जल जो छिडको, तो करे वो, छस-छ्सा-छस-छस,
हर दिल में धू-धू जलते आग को, यूँही बुझाना है II
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दुखों को गट-गटा-गट-गट, सभी मजबूर पीते हैं,
उन्ही लोगों में मैं भी हूँ मगर, ये गम मिटाना है II
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तरक्की खूब आई है, की बस कागज़, किताबों में,
हमें ही आगे बढ़ कर देश में, कुछ कर दिखना है II
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लगे हैं सब खुदी के मतलबों में, कौन किसका है,
ज़रा सा प्रेम का इक सूत्र हमको, अब बनाना है II
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अरे एक वीर हम भी हैं, ये दुनिया को बताना है,
अभी तक तेज़ को अपने , कहाँ समझा ज़माना है II
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