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एना – ओना केना – केना करब अब कौन उपाय,
बुढौती में शादी कैली छोड़ देलऊ देखहिं माय,
एना सुन्दर छौरी चुनली खुशी अपन की बतलाऊ,
गेलव छोड़ देख गे मईया अब केकरा पीड़ा दिखलाऊ,
पुताहू केकरा कहबे अब पोता कैसे होतऊ गे,
रात होवे पे हेगे मईया जड़े कोन सोतऊ गे,
देखहिं न गे हमें त रह गेलियऊ बिन साबुन झाग,
“गेलऊ हमर मौगी भाग”………………..१
…………..
रिक्शा वाला झलुआ पर त शक हमरा पहले से रहलऊ,
गर्मी के ऊ ढाल बनाइके बौडी अपन खूब दिखलऊ,
एहे खातिर कहत रहली गेट तनिक बरका लगवाव,
ओहो में तू दुइगो ताला डाल भीतर से बंद कराव,
अस्सी बरस उमर भेलऊ तहियो तोरा कुछो न अइलऊ,
ऊ कल के छौरी तोराके देखली कैसे ठेंगा दिखैलऊ,
मिले खाली झलुआ हमरा देबऊ ओकरा गोली दाग,
“गेलऊ हमर मौगी भाग”………………..२
………….
अब सोची की बप्पा-पितिया के इज्जत के की गे रहतऊ,
जेकरा मन करतऊ उही हम्मर सब के नाम पे हंसतऊ,
कित्ता जतन कैली तब त जा के हमरा हाँथ इ अलऊ ,
मगर ससुरा झलुआ ता इज्जत के है वाट लगलऊ,
जावाईछियौ थाना अब दरोगवा कुछो बुद्धि देतऊ,
मगर मईया ऊ ससुरा भी दाम खूब एकरा के लेतऊ,
कहब पूरा बात मगर पहले देबऊ एगो पान – पराग,
“गेलऊ हमर मौगी भाग”………………..३
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