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जे जे हमारा परिवार ——–अब और नहीं हमें आगे बढ़ना है

राजनीति
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यह मंच पर जो भी हो रहा है अत्यंत दुखद है इसपर पूर्णविराम लगना ही चाहिए…………………..आगे बढ़ने के लिए लोगों के गुण अवगुण सभी को स्वीकार करना ही पड़ता है……………..निश्चय ही आदरणीय प्रदीप सर और आदरणीया निशा मैम की बातों को ध्यान में रखना चाहिए
हम व्यर्थ की बातों में पड़े हुए है और अपनी आधार को कमजोर कर रहें है………..हमें संगठित रहना होगा ……..
‘याद रहे सिर्फ संग रहने वाले ही परिवार के सदस्य नहीं होते”………………’जहाँ प्यार मिले वहीँ जीवन है”
हम एक थे एक रहे यही कल्पना होनी चाहिए……..जिन्होंने कोई गलत कमेन्ट या गलत पोस्ट किया था या करने वाले है या कर चुकें है कृपया हटा दें…………..में अपनी पोस्ट “माँ-शब्द में संसार है”…………वापस ले रहा हूँ………..और मुझे कोई दुःख नहीं
जिनसे भी मेरा विवाद हुआ…………….सबसे माफ़ी मांगूंगा……..जिनसे नहीं हुआ उनसे भी ………..प्यार में यह चलता रहता है……..क्या पता कल वही दोष्ट बन जाएँ…………………आपसब एक विचारक है …….और विचार अवश्य होना चाहिय………..उम्मीद के साथ की प्यार मंच पर आएगा …….आपसब का प्रिय क्षमाप्रार्थी आनंद प्रवीन

नेत्रजल कुछ छलकाता हूँ, हाँथ जोड़ कुछ विनती करता,
नभ-गगन के अन्य सितारों से, व्याकुल मन की बात को कहता,
…………….
खोजो किसमे रावण और किसके अंदर में राम छुपा है,
सबके अंदर कुछ लिखने का प्रचंड वेग तूफ़ान छुपा है,
…………..
छोड़ो किसने क्या बोला और किसने किसको बुरा कहा है,
क्या हमने जीवन में कोई, कभी नहीं फिर द्वेष सहा है,
……………
हम सब में कुछ है भरा हुआ, हम सब में कुछ-कुछ खाली भी है,
ह्रदय पे जाकर लगता है ये, कुछ अच्छे मुख में तो गाली भी है,
……………
नहीं दोष देता हूँ किंतु, कुछ मर्यादा तो मर्यादा है,
कुछ भी कहने से पहले, ये याद रहे नर या मादा है,
……………
हमने कलम उठाया था, कुछ नैतिकता को बल देने को,
प्यार मुहब्बत के संग में, कुछ आग में केवल जल देने को,
……………
चलो अभी से शपथ उठायें, फिर ऐसे दिन न लायेंगे,
खुद को थोड़ा छोटा कर के, दूजे संग में मुस्काएंगे,
……………
माफ करो सब साफ़ करो, अब अपने अपने कर्म पे आओ,
प्यार सभी में फिर से आये, ऐसा कोई संगीत बनाओ,
…………..
नए-नए गुल आयेंगे तो, ये देख – देख प्रलाप करेंगे,
हमने नहीं सिखाया तो, वो खुद में कर आघात मरेंगे,
…………..
चलो अभी माफ़ी मांगे, चाहे हमने कुछ किया नहीं हो,
ह्रदय कहाँ होगा उसका, जिसने अब तक कुछ दिया नहीं हो,
…………..
ये याद रहे आगे बढ़ने को, विवेक ज़रा रखनी ही पड़ेगी,
देखो गर खुद में लड़ेंगे हम, फिर दुनिया हमपर शर्म करेगी,
देखो गर खुद में लड़ोगे तो, फिर दुनिया तुमपर शर्म करेगी
…………………………..त्रुटि करना लगता है मेरी नेसर्गिक गुण बनती जा रही है…………जल्दी में लिखने के कारण अवश्य काफी जगहों पर दिक्कत हो सकती है………….क्षमा करें…….

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