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“ऐ बेटा”

राजनीति
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दुह: स्वप्नों की दुनिया में, मैंने, स्वप्न अनोखा है देखा,
देश बुला रही है मुझको, बोल हिला कर “ऐ बेटा”
.
बोली, कब तक पड़ा रहेगा, अपनी ही खुशियाली में,
और यहाँ बच्चों को देखो, नहीं है दाना थाली में II
.
तुम तो पीते हो “मदिरा” भी, भर – भर कर इक प्याली में,
और यहाँ पिने को देखो, नहीं है पानी नाली (नल) में II
.
सूखे पत्तों को देखो, जो कभी कहीं थे डाली में,
माली बन जा और उन्हें, तू बदल दें एक हरियाली में II
.
सोने की चिड़िया होती थी, मेरी हर एक डाली में,
नेताओं ने काट दी डाली, निजी हित की दलाली में II
.
और, अनेकों कष्ट भड़ें है, जीवन की इस पाली में,
सोयेगा या बंद करेगा, इन कष्टों को जाली में II
.
“ऐ बेटा” तू उठ जा थोड़ा, मुझ पर यह उपकार तो कर,
अपने को तो सब जीतें है, तू थोड़ा मुझपे तो मर II
.
.
ANAND PRAVIN

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