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“मुश्किलें तो आती है, जीवन में हर घड़ी
हौसला वो है, जो इनकों देख ले“
हैं विश्वास का साथ तो, विश्वास संग “आगे बढ़ो”
घबराओं मत किसी बात पे, अपने लिए “आगे बढ़ो” …१
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आगे बढ़ो की अब यहाँ, बढ़ना ही तेरा लक्ष्य है,
कठनायियाँ तो आएँगी, उनको हटाना लक्ष्य है,
पथ डोल जाएँ किंतु, मगर, ये लक्ष्य पाना लक्ष्य है,
अब सोचने का वक़्त तो, बीते समय का हो गया,
मजबूत कर अपना ह्रदय, एक वेग संग“आगे बढ़ो”
घबराओं मत किसी बात पे, अपने लिए”आगे बढ़ो” ….२
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छु लो उन बुलंदियों को, जो तुम्हें डरा रहीं,
दिखा रही परछाइयाँ, पर, सामने न आ रहीं,
तुम अपने अन्दर जो छुपा है , रक्त उसको जान लो,
जो उछल रहा इन बुलंदियों पे, उस रक्त को पहचान लो,
मंजील तो मिलनी है तुम्हें, उम्मीद संग “आगे बढ़ो”
घबराओं मत किसी बात पे, अपने लिए”आगे बढ़ो” ….३
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देखो “विजय” ये अब तुम्हारा, है इंतजार कर रहा,
मिलता नहीं सबों को लेकिन, तुम पें ही है, ये मर रहा,
तुम्हारी ही प्रतिज्ञा है, जो तुम्हें बढ़ा रही,
कतार से अलग किये, नए मार्ग से ले जा रही,
“विजय’को भी तुम जी लो, इस सोच संग “आगे बढ़ो”
घबराओं मत किसी बात पे, अपने लिए”आगे बढ़ो” ….४
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पेड़ों की छाह, अब यहाँ, क्या काम तेरे आयगें,
आराम देकर वो तुम्हें, पथ से ही तो हटायेंगे,
सवाल अब ये है नहीं, किस बात पे तू रुक रहा,
सवाल ये है की, तुम्हारें मन में है, अब क्या भड़ा,
रुको नहीं, ठहरों नहीं, अब जोश संग “आगे बढ़ो”
घबराओं मत किसी बात पे, अपने लिए”आगे बढ़ो” ….५
ANAND PRAVINchitra google dwaraa
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